सब कुछ व्याख्या के अधीन हैं, किस समय कौन सी व्याख्या मान्य होती है ये शक्ति पर आधारित होता है सत्य पर नहीं – Aayudh Singh

जब भी हम राक्षसों से लड़ते हैं, हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस प्रक्रिया में कहीं हम खुद ही राक्षस ना बन जाए, अगर हम लम्बे समय तक खायी को घूरते हैं तो खायी भी हमें घूरने लगती है, बिना अपवित्र हुए दूषित धारा को धारण करने के लिए हमें एक समुद्र होना चाहिए – Aayudh Singh